
PMMVY: भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY), वर्ष 2025 में एक बार फिर से चर्चा का केंद्र बनी हुई है। यह योजना गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य व पोषण को मजबूत बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 75वें जन्मदिन के अवसर पर मध्य प्रदेश के धार जिले से इस योजना के तहत लगभग 10 लाख से अधिक महिलाओं के बैंक खातों में सीधी धनराशि हस्तांतरित की। यह कदम न केवल महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करता है, बल्कि मातृत्व काल की चुनौतियों से निपटने में भी सहायक सिद्ध हो रहा है। इस लेख में हम PMMVY की पूरी जानकारी, लाभार्थियों की पात्रता, आवेदन प्रक्रिया और योजना के प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यह योजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 की धारा 4 के तहत संचालित होती है और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रही है।
PMMVY का इतिहास और उद्देश्य
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की शुरुआत 1 जनवरी 2017 से हुई थी। यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित एक केंद्रीय प्रायोजित योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि वे मातृत्व अवकाश के दौरान होने वाली मजदूरी हानि की भरपाई कर सकें। योजना का फोकस मां और बच्चे के स्वास्थ्य, पोषण और देखभाल पर है। भारत में मातृ मृत्यु दर को कम करने और शिशु मृत्यु दर में सुधार लाने के लिए यह योजना अत्यंत आवश्यक सिद्ध हुई है।
वर्ष 2025 में योजना को और मजबूत किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लॉन्च किए गए ‘स्वस्थ नारी-सशक्त परिवार अभियान’ और ‘8वां राष्ट्रीय पोषण माह’ के तहत PMMVY को एकीकृत किया गया है। इन अभियानों के अंतर्गत देशभर में एक लाख से अधिक स्वास्थ्य शिविर लगाए जा रहे हैं, जहां एनीमिया जांच, टीबी स्क्रीनिंग, सिकल सेल रोग की जांच और पोषण परामर्श प्रदान किया जा रहा है। 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलने वाले इस अभियान में PMMVY के तहत पंजीकरण अभियान भी चलाया जा रहा है, जिससे अधिक से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो सकें।
योजना का एक प्रमुख लक्ष्य ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को समान अवसर प्रदान करना है। यह न केवल आर्थिक मदद देती है, बल्कि जागरूकता फैलाकर महिलाओं को उनके स्वास्थ्य अधिकारों के प्रति सतर्क बनाती है। अब तक लाखों महिलाएं इस योजना से जुड़ चुकी हैं, और 2025 में इसका विस्तार और प्रभावी बनाने के प्रयास जारी हैं।
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योजना के लाभ: विस्तृत जानकारी
PMMVY के तहत लाभ की राशि को तीन किश्तों में प्रदान किया जाता है, जो गर्भावस्था के विभिन्न चरणों पर आधारित होती है। पहली संतान के लिए कुल 5,000 रुपये की सहायता दी जाती है। पहली किश्त (1,000 रुपये) गर्भावस्था पंजीकरण के समय, दूसरी किश्त (2,000 रुपये) गर्भावस्था के छह महीने पूरे होने और बच्चे के जन्म के बाद जन्म प्रमाणपत्र जमा करने पर, तथा तीसरी किश्त (2,000 रुपये) बच्चे को पहला टीकाकरण कराने के बाद प्रदान की जाती है।
दूसरी संतान के मामले में, यदि दूसरा बच्चा बेटी है, तो अतिरिक्त 6,000 रुपये की एकमुश्त राशि दी जाती है। यह प्रोत्साहन बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान से जुड़ा हुआ है। कुल मिलाकर, एक महिला को पहली संतान पर 5,000 रुपये और दूसरी बेटी के जन्म पर अतिरिक्त 6,000 रुपये मिल सकते हैं। इसके अलावा, जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के लाभार्थी महिलाओं को औसतन 6,000 रुपये का अतिरिक्त लाभ भी प्राप्त होता है।
2025 में योजना के तहत धनराशि का हस्तांतरण डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से किया जा रहा है, जो पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। मध्य प्रदेश से शुरू हुए इस हस्तांतरण ने देशभर की महिलाओं को प्रेरित किया है। यह राशि महिलाओं को पौष्टिक भोजन, दवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने में मदद करती है, जिससे मां और बच्चे दोनों का कल्याण होता है। योजना का यह लाभ केवल उन महिलाओं को मिलता है जो गर्भधारण से पहले कम से कम 90 दिनों तक मजदूरी पर निर्भर रही हों।

पात्रता मानदंड: कौन ले सकता है लाभ?
PMMVY का लाभ उठाने के लिए कुछ स्पष्ट पात्रता मानदंड निर्धारित किए गए हैं। योजना का लाभ भारत की नागरिक महिलाओं को मिलता है, जो 1 जनवरी 2017 या उसके बाद गर्भवती हुई हों। विशेष रूप से, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की महिलाएं, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाली महिलाएं, दिव्यांग महिलाएं, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) की लाभार्थी, ई-श्रम कार्ड धारक महिलाएं, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से जुड़ी महिला किसान, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) जॉब कार्ड धारक और वे महिलाएं जिनके परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है, सभी पात्र हैं।
इसके अतिरिक्त, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और आशा कार्यकर्ता भी इस योजना की पात्र होती हैं। योजना का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को प्राथमिकता देना है, इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है। पात्रता की जांच के लिए परिवार की आय, रोजगार स्थिति और गर्भावस्था का प्रमाण आवश्यक होता है। 2025 में, योजना को और समावेशी बनाया गया है, ताकि अधिक महिलाएं इसमें शामिल हो सकें।
अयोग्यता के मानदंड: किन्हें लाभ नहीं मिलेगा?
हालांकि योजना व्यापक है, लेकिन कुछ श्रेणियों की महिलाएं इससे वंचित रहती हैं। केंद्र या राज्य सरकार की नियमित नौकरी में कार्यरत महिलाएं, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में काम करने वाली महिलाएं और वे महिलाएं जो किसी अन्य कानून या योजना के तहत समान मातृत्व लाभ प्राप्त कर रही हों, जैसे कि मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत, पात्र नहीं मानी जातीं। उदाहरण के लिए, यदि कोई महिला पहले से ही अपने नियोक्ता से मातृत्व अवकाश का लाभ ले रही है, तो वह PMMVY का दावा नहीं कर सकती।
इसके अलावा, गर्भावस्था के बाद आवेदन करने वाली महिलाओं को लाभ नहीं मिलता; आवेदन अंतिम मासिक धर्म (एलएमपी) की तारीख से 730 दिनों के भीतर करना अनिवार्य है। ये प्रतिबंध योजना की दक्षता बनाए रखने और संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए हैं। 2025 में इन मानदंडों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन जागरूकता अभियानों के माध्यम से महिलाओं को इनके बारे में सूचित किया जा रहा है।
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आवेदन प्रक्रिया: स्टेप बाय स्टेप गाइड
PMMVY के लिए आवेदन प्रक्रिया सरल और सुविधाजनक है। महिलाएं अपने नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र, आशा कार्यकर्ता या एएनएम (ऑक्जिलरी नर्स मिडवाइफ) की सहायता से ऑफलाइन आवेदन कर सकती हैं। इसके लिए फॉर्म 1 भरना होता है, जिसमें गर्भावस्था का विवरण दर्ज किया जाता है।
ऑनलाइन आवेदन के लिए आधिकारिक वेबसाइट https://pmmvy.wcd.gov.in पर जाएं। साइट पर ‘सिटिजन लॉगिन’ टैब पर क्लिक करें, आधार नंबर या मोबाइल नंबर से रजिस्टर करें। उसके बाद फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें। आवेदन जमा करने के बाद ट्रैकिंग सुविधा उपलब्ध है। मोबाइल ऐप ‘पीएमएमवीवाई-कॉमन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर’ (सीएएस) के माध्यम से भी आवेदन किया जा सकता है।
आवेदन की समय सीमा सख्त है: पहली किश्त के लिए एलएमपी से 150 दिनों के भीतर, दूसरी के लिए जन्म के 6 महीने के भीतर। 2025 में डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया गया है, जिससे आवेदन प्रक्रिया तेज हो गई है।
आवश्यक दस्तावेज: क्या-क्या लगेगा?
आवेदन के समय कुछ बुनियादी दस्तावेज जमा करने पड़ते हैं। आधार कार्ड (महिला और पति दोनों का), बैंक खाता विवरण (पासबुक की कॉपी या बैंक स्टेटमेंट), मोबाइल नंबर, बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र (दूसरी किश्त के लिए), और टीकाकरण कार्ड (तीसरी किश्त के लिए) अनिवार्य हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट या वोटर आईडी आय प्रमाण के रूप में काम आ सकती है।
दस्तावेजों की जांच आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा की जाती है, और स्वीकृति के बाद धनराशि सीधे खाते में ट्रांसफर हो जाती है। 2025 में आधार-लिंक्ड भुगतान को अनिवार्य किया गया है, जो धोखाधड़ी रोकता है।
योजना का प्रभाव: महिलाओं पर असर
PMMVY ने लाखों महिलाओं का जीवन बदला है। यह योजना मातृ मृत्यु दर को 20% तक कम करने में सहायक रही है। आर्थिक सहायता से महिलाएं बेहतर पोषण ले पाती हैं, जिससे शिशुओं का वजन और स्वास्थ्य सुधरता है। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में, जहां जन्मदिन पर 10 लाख महिलाओं को लाभ मिला, वहां स्वास्थ्य संकेतक बेहतर हुए हैं।
योजना ने महिलाओं को सशक्त बनाया है, क्योंकि वे अपनी स्वास्थ्य देखभाल पर स्वतंत्र निर्णय ले सकें। राष्ट्रीय पोषण माह के तहत चल रहे शिविरों ने जागरूकता बढ़ाई है। हालांकि, चुनौतियां बनी हुई हैं, जैसे दूरदराज क्षेत्रों में पहुंच की कमी, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म से इसे दूर करने के प्रयास हो रहे हैं।

भविष्य की संभावनाएं और सुझाव
2025 और उसके बाद PMMVY को और विस्तार दिया जाएगा। सरकार का लक्ष्य सभी पात्र महिलाओं को कवर करना है। सुझाव के रूप में, अधिक जागरूकता अभियान, मोबाइल यूनिट्स का उपयोग और निजी क्षेत्र की भागीदारी आवश्यक है। महिलाओं को योजना के लाभों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय भाषाओं में सामग्री उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना 2025 महिलाओं के स्वास्थ्य और सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जन्मदिन पर 10 लाख महिलाओं को दिए गए तोहफे ने योजना की पहुंच को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। यह न केवल आर्थिक मदद है, बल्कि एक स्वस्थ समाज की नींव रखने वाली पहल है। यदि आप पात्र हैं, तो तुरंत आवेदन करें और अपने तथा अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित बनाएं। PMMVY जैसी योजनाएं साबित करती हैं कि सरकार महिला कल्याण को प्राथमिकता दे रही है।
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